Hello दोस्तो आपका स्वागत है आपकी अपनी वेबसाईट BuildThCareer पर आज हम बात करने वाले हैं रंगो के त्यौहार होली, होली क्यों मनाई जाती है (holi kyu manai jati hai) सबसे पहले अगर आप यह आर्टिकल होली पर पढ़ रहे हैं तो आप को buildthcareer की ओर से होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
होली हिंदुओं के खास त्योहारों में से हैं एक होली जिसे मनाने के लिए बच्चों से लेकर यूथस सभी बड़े इक्साइटेड रहते है। होली को सेलब्रैट करने का सबका अलग ढंग होता है और ये देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाई जाती है। लेकिन पिछले दो सालों से महामारी ने होली के रंग को कुछ फीका कर दिया था, पर अब 2022 में हम उतनी ही धूमधाम से होली को मनाएंगे।
होली खेलने के एक दिन पहले होलिका जलाई जाती है। जिसमें लोग लकड़िया और कंडे का इस्तेमाल कर उसे होलिका मानते हैं और उसके आस पास सजाया जाता है लोग होलिका की पूजा करते हैं और कहीं कहीं तो लोग रात भर जागकर नाच गाना भी करते हैं। और अगले दिन होलिका में गेंहु की बालियाँ सेंकते हैं होलिका को कलर चढ़ने के बाद लोग इसे खेलना शुरू करते है।
होली के त्यौहार का इतिहास
होली का इतिहास बहुत पुराना है। कई पुरातन धार्मिक पुस्तकों में होली का उल्लेख मिलता है। नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपि और ग्रंथों में भी होली के त्यौहार का उल्लेख मिलता है। प्राचीन काल के कई मंदिरों की दीवारों पर भी होली के चित्र दिखाई पड़ते हैं।
16वीं शताब्दी में विजयनगर की राजधानी हंपी में बनाए गए एक मंदिर में भी होली के कई सारे दृश्य दीवारों पर देखने को मिलते हैं, जिसमें राजकुमार राजकुमारियों सहित दासियों को भी हाथ में पिचकारी लिए हुए एक दूसरे को रंगते हुए दिखाया गया है। 300 वर्ष पुराना विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित अभिलेख में होली का उल्लेख है।इतिहासकारों का कहना है कि होली का परवाह आर्यों में भी प्रचलित था लेकिन अब यह पूर्वी भारत में ही ज्यादातर मनाया जाता है।
यहां तक कि मुगल काल के दौरान साहित्यकार द्वारा किए गए रचना में अकबर का जोधा बाई के साथ, जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है। इसकी एक झलक अलवर संग्रहालय के एक चित्र में भी देख सकते हैं, जहां पर जहांगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है।
इस तरीके से मुगल काल में भी होली का त्यौहार काफी प्रचलित था और वह भी होली को धूमधाम से और उमंग से मनाया करते थे। कहा जाता है कि शाहजहां के समय तो होली खेलने का अंदाज ही बदल गया। इतिहास में वर्णन किया गया है कि शाहजहां के जमाने में होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी कहा जाता था, जिसका मतलब रंगों का बौछार होता है।
मध्ययुगीन हिंदी साहित्य में भी कृष्ण लीलाओं में होली का काफी विस्तृत वर्णन देखने को मिलता है। इसके अलावा और भी कई सारे प्राचीन साक्ष्य मिले हैं, जो बताता है कि होली का त्योहार प्राचीन काल से ही सभी धर्मों के लोग मनाते आ रहे हैं।
होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
होली हिंदू का त्योहार है जो प्राचीन काल से बनाया जाता आ रहा है । होली का त्यौहार स्वागत करने के तरीके के रूप में मनाया जाता है। होली के त्योहार को एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है जहां पर लोग अपने सभी गिले शिकवे भुला कर एक नए सिरे से शुरूआत करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि होली के त्यौहार के दौरान देवता आंखें बंद कर लेते हैं और उनको समस्याओं में से एक है जब अत्यंत भक्त हिंदू खुद को अकेला छोड़ देती है। लोग होली के त्योहार में खूब नित्य करते हैं पार्टी करते हैं और एक दूसरे में को रंग लगाते हैं और मिठाई खाते हैं।
होलिका दहन कैसे मनाया जाता है
होली के एक दिन पहले रात के समय होलिका दहन की पूजा की जाती है । होलिका दहन के दौरान इसमें गाय के गोबर के खिलौने है सच्चे जाते हैं जिसके ऊपर होलिका और प्रहलाद की गोबर की मूर्ति रखी जाती है। फिर प्रह्लाद की मूर्ति को आग से जल्दी से हटा लिया जाता है क्योंकि भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति के कारण बच गए थे। यह बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।और फिर अगले दिन लोग रंगों के साथ होली खेलते हैं।
होली का त्यौहार कब मनाया जाता है 2022
होली का त्योहार चंद्र मास फाल्गुन के अंतिम पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो आमतौर पर मार्च के अंत में आती है। होली की सही तारीख साल दर साल अलग-अलग होती है। इस साल होली 18 मार्च को मनाई जाएगी।
होली के रंग
होली के दिन एक दूसरे को रंग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पहले के समय में पलाश के पेड़ के फूलों से रंग बनाए जाते थे, जिसे गुलाल के रूप में जाना जाता था। वह रंग त्वचा के लिए बिल्कुल भी हानिकारक नहीं हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ त्योहारों को मनाने के तरीके भी बदल गए, उसी के साथ होली के रंगों में भी काफी बदलाव आ गया।आज के समय में रंग को बनाने के लिए रसायन का इस्तेमाल किया जाता है, जो त्वचा को नुकसान करते हैं और कुछ रंग ऐसे होते हैं, जो त्वचा से कई दिनों तक नहीं छूटते। इन्हीं सब कारण से बहुत से लोगों को होली के दिन रंग खेलना पसंद नहीं होता। लेकिन हमें समझना चाहिए कि होली प्यार और उमंग से एक दूसरे के साथ उत्सव मनाने का त्यौहार होता है। इसीलिए होली को सच्ची भावनाओं के साथ खेलना चाहिए
आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर
1.हिरण्यकश्यप की बहन का नाम क्या था?
हिरण्यकश्यप की बहन का नाम होलिका था।
2.हिरण्यकश्यप की पत्नी का नाम क्या था?
हिरण्यकश्यप की पत्नी का नाम कयाधु था।
3.हिरण्यकश्यप के पुत्र का क्या नाम था?
हिरण्यकश्यप के पुत्र का नाम प्रहलाद था।
4.हिरण्यकश्यप के कितने पुत्र थे?
हिरण्यकश्यप को अपनी पत्नी कयाधु से 4 पुत्र प्राप्त हुए जो ह्लाद, अनुह्लाद, संह्लाद और प्रह्लाद थे।
5.कयाधु किसकी पुत्री थी?
कयाधु के पिता का नाम जम्भ था।
6.होली का प्राचीन नाम क्या है?
होली के अन्य नामों में फगुआ, धुलेंडी और दोल आदि शामिल है। लेकिन होली को पहले के समय में होलका या होलिका के नाम से भी जाना जाता था।
7.होलिका के पिता का नाम क्या था?
होलिका के पिता का नाम “ऋषि कश्यप” था।
8.होलिका की माता का नाम क्या था?
होलिका की माता का नाम “दिति” था।
9.होली कौन कौन से देश में मनाई जाती है?
होली भारत सहित बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल मॉरीशस में भी मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त भारतीय जिस जिस देश में बसे हुए हैं, वहां भी होली मनाते हैं।
10.हिरण्यकश्यप को क्या वरदान मिला था?
हिरण्यकश्यप को एक वरदान प्राप्त था, यह वरदान ऐसा था कि “ना तो उसे कोई मानव मार सकता है और ना कोई जानवर, न हीं घर में न हीं बाहर, न ही किसी शस्त्र से और ना ही किसी अस्त्र से, ना इस धरती पर और ना आकाश में, ना ही दिन में और ना ही रात में” अतः उसे ऐसा वरदान प्राप्त होने के कारण कोई भी देवता या असुर कोई भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था। अपने इसी वरदान के कारण वह किसी से भी नहीं डरता था और बिना सोचे समझे कहीं पर भी आक्रमण कर देता था।
11.होली के पति का नाम क्या था?
होलिका एक राजकुमार से प्रेम करती थी जिसका नाम इलोजी था और उसी से होलिका का विवाह होना था।
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Good article
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